Tuesday, July 27, 2010

ek maasum sawaal


सोने गया तो चंदा मामा से विनती की कि आज ज़रूर आना |

सुबह हो गयी पर चंदा मामा आज भी नही आये रोज कि तरह |

इतनी तमन्ना थी कमसेकम एक बार चंदा मामा से तो मिलु |

पर यह क्या आज तो जैसे खुशियों कि बरसात हो गयी           |

क्योंकि आज मै चंदा मामा के पास था खेल रहा था झूम रहा था |

ऐसा चॉकलेट जो मामा न दिया था उसे चूम रहा था                   |

तभी यह क्या जोर कि तूफ़ान आई और मेरी सारी खुशियाँ लील गयी |

कोई शैतान मुंह बाए खड़ा था मुझे खा जाने को                       |

बस थोड़ी ही देर में मै बनाने वाला था उसका निवाला              |

तभी पापा आ गये और मुझे जोर से अपनी बाहों में जकड लिया |

फिर उस शैतान से पापा दूर भागने लगे शैतान पीछे और पापा आगे भागते रहे |

और पापा उस शैतान से मुझे दूर भगा ही ले जाते पर ये क्या बीच में कोई राह रोके खड़ा था |

पापा गिडगिडाए हाथ जोड़े पर वह नही पसीजा |

पापा मेरी और उसके बेटे कि दुहाई देते रहे       |

मै समझ गया अब शैतान मुझे खा जाएगा      |

तो मैंने पापा से पूछा ये हमें क्यों रोक रहे है      |

पापा बोले हमारे पहरेदार आ रहे है                    |

उसी कि सुरक्षा में ये हमारे सुरक्षा गार्ड हमें रोक रहे है |

अब शैतान मुझे खाने ही वाला था तो पापा से मैंने एक सवाल पूछा |

पापा कैसे पहरेदार हमारे जो खुद रहते है पहरे में |

लाव लश्कर से जब ये निकले जान हमारी हो खतरे में |

पापा मै दुबारा आपके पास तबतक नही आऊंगा |

जबतक ऐसे पहरेदार रहेगे बदल दो पापा ऐसे पहरेदार को |

जो मौत से डरता है और मौत आएगी ही यही सत्य है  |

फिर ओ शैतान मुझे पापा और चंदा मामा से दूर लेकर चला गया -

बहुत दूर |                                      

                                        आपका शुभचिंतक

                                             अजय बनारसी            .

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