Wednesday, March 10, 2010

न जाने कहाँ प्यार खो गया है .

ऐसा लगता है मुझे न जाने कहाँ प्यार खो गया है .|
हर गाने के बोल में शब्दों के तोल में प्यार का ही जलवा है |
फिर भी ऐसा लगता है मुझे न जाने कहाँ प्यार खो गया है  ||
हर दिल के धड़कन में महबूब के तडपन में प्यार का ही जलवा है |
फिर  भी ऐसा लगता है मुझे न जाने कहाँ प्यार खो गया है  ||
ढूडने निकला जब प्यार , प्यार के दोस्त मिल गये चार  |
आंसू, धोखा , तड़प और जुदाई , तो मैंने पूछा प्यार को किसी ने देखा है भाई |
तो सब ने कहा प्यार के संग , धोखा का जलवा है |
फिर भी ऐसा लगता है मुझे , न जाने कहाँ प्यार खो गया है ||
खोजत देख प्यार को ,लगी जुदाई नीर बहाने |
अनेक रूप रंग अनेक , ऐसे प्यार को कौन पहचाने |
पाता है जो सच्चे प्यार को , बस उसी का जलवा है |
फिर भी ऐसा लगता है मुझे न , जाने कहाँ प्यार खो गया है ||
आंसू झर झर झर  कर बोले , प्यार को लोग खून से तौले |
प्यार हो तो आंसू  धोखा हो तो आंसू , जबकि प्यार में दो दिल खिले |
आंसू से जो दूर रहे बस उसी का जलवा है |
फिर भी ऐसा लगता है मुझे न जाने कहाँ प्यार खो गया है ||
बात ख़तम नहीं हुई आंसू की , तड़प लगी गरजने |
तेरे संग कंकाल हुई मै आंसू पे लगी बरसने |
बोली प्यार से जो दूर रहे बस उसी का जलवा है |
फिर भी ऐसा लगता है मुझे न जाने कहाँ प्यार खो गया है ||
आखिर में सब ने यही कहाँ , प्यार करो तो सच्चे दिल से |
प्यार में बस देना सीखो , लेने की तुम कभी मत सोचो |
जिस प्यार में किसी का दिल न दुखे , बस उसी का जलवा है |
इसीलिए   ऐसा लगता है मुझे न जाने कहाँ प्यार खो गया है ||
                                                                  आपका शुभचिन्तक
                                                          अजय बनारसी  मो . न. 9871549138

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