Wednesday, March 10, 2010

हर मर्ज़ की दवा ध्यान है

जिस किसी भी हॉस्पिटल में जाओ मरीजो की संख्या हैरान कर देने वाली होती है , बहुत ही दयनीय इस्थिति में लेते हुए कराहते रहते है .ये क्या है अज्ञानता ही तो है , जिससे वो अपनी जीवन नरक बना लेते है , अब आप पूछेगे  की ज्ञान क्या है  तो मै आपको बता देना चाहता हूँ की अपने आप को पहचान लेना ही ज्ञान है , फिलहाल इस बारे में अभी नही बात कर पाऊंगा क्योकि  मै जो बताना चाहता हूँ वो ये की हर मर्ज़ की दवा हमारे पास ही है , हर इन्सान में इतनी शक्ति होती है की वो कैंसर जैसी घातक बिमारी को  भी ठीक कर सकती है अब आप मुझे मूर्ख समझ रहे होगे या पागल क्योकि पुरे विश्व में कैंसर जैसी घातक बिमारी का कोई इलाज ही नही है , लेकिन मै कहता हूँ कैंसर या किसी भी बिमारी का इलाज हमारे पास ही है ,.

ये चैलेन्ज नही अजय बनारसी का दावा है , वो इलाज यानी दवा कौन सी है बहुत ही साधारण और वो ये की अपने इष्टदेव का पुरे मनोयोग से ध्यान लगाना , ज्यादा नही सिर्फ आधे घंटे सुबह और आधे घंटे शाम फिर देखिये आपकी कोई भी बिमारी जलकर भष्म हो जायेगी सदा - सदा के लिए शर्त बस यह है की अपने दिल में किसी भी जीव के लिए अहितकारी वचन न बोले ,न सोचे , न देखे और न ही किसी के दिल को दुःख पहुचाये सबके लिए अच्छा ही सोचे और करे चाहे वो आपका सबसे बड़ा दुश्मन ही क्यों न हो ,ये सब बाते मै इतने विश्वास से इसलिए कह रहा हूँ क्योकि ये प्रयोग मैंने किसी चूहे पे नही अपने ऊपर ही किया है बवासीर जैसी कष्ट कारक बिमारी जलकर भष्म हो गयी बिन दवा बिन इलाज के .

असली बात हमारे अन्दर वो शक्ति कंहा है तो मै आपको बता देना चाहता हूँ की हमारे शरीर का निर्माण पांच तत्व से मिलकर हुआ है
जो की आप जानते भी होगे , १- जल , २- वायु  , ३ - अग्नि , ४- आकाश , ५- पृथ्वी . और हमारे शरीर के अन्दर तीन नाडिया होती है ,१- पिंगला नाडी, २- इडा नाडी  , ३- सुषुम्ना नाडी , और हमारे शरीर के अन्दर सात चक्र भी होते है ,१- गुदा द्वार के ऊपर मूलाधार
२- उससे थोडा ऊपर स्वाधिष्ठान , ३- नाभि , ४- अनहत ह्रदय , ५- विशुधि गले के पास , ६- आज्ञा मष्तिष्क के पास ,७- सहस्त्रार तालू , ये सात चक्र होते  है , यानी हमारे पुरे शरीर का निर्माण पांच तत्व , तीन नाडी और सात चक्र से मिलकर हुआ है ,जब हम पुरे मनोयोग व निरछल भाव से अपने इष्टदेव का हम ध्यान लगाते है तो तीनो नाडिया और सातो चक्र क्रियाशील हो जाते है और शरीर के अन्दर जीतने भी रोग ,दोष ,विकार विराजमान होते है दोनों हाथो के माध्यम से वायु तत्व में विलीन हो जाता है ,और एक दिन ऐसा आता है की आप सर्वज्ञानी और सर्वशक्तिमान हो जाते है और अंत में मोक्ष को प्राप्त हो जाते है .
लेकिन आज के माहौल में चारो तरफ अराजकता ,भ्रष्टाचार , मंहगाई ने अपना जड़ इतना मज़बूत कर  लिया है की हम भी इन्ही बातो में उलझ कर रह गये है जिसका अंत बहुत ही कष्टकारक होता है , हमें इस जंजाल से बाहर निकल कर सबके सामने ज़िन्दगी की इस सच्चाई को लाना ही होगा ,अगर किसी एक भी शाख्श का दिल इस सच्चाई को कबूल कर लेता है तो समझिये आपके पुरे जीवन की साधना पूर्ण हो गयी |
अगर अब भी आपको मेरे इन  बातो पे शक है तो आज शाम को ही घर पर हाथ मुंह धोकर एक दीपक जलाकर अपने इष्टदेव के सामने पुरे मनोयोग से उन्ही का ध्यान लगाए और अपने दोनों हाथ का पंजा खोलकर रखे ध्यान न भटकने पाए कुछ ही देर  में आप पायेंगे की आपकी तीनो नाडिया और सातो चक्र काम करना शुरू कर दिया है और आपके हाथ का पंजा काफी गर्म हो जाएगा
जिससे सारी गन्दगी निकलती है जिस दिन आपके शरीर के सारे विकार निकल जायेंगे आप के हाथ का पंजा शीतल होता हुआ प्रतीत होगा .
और इसके साथ ही आपको जो आनंद मिलेगा इस पुरे जगत में आपको प्राप्त नही होने वाला है .तो फिर देर किस बात की आज से ही कम से कम एक घंटा अपने इष्टदेव को देना शुरू करिए सारे रोग , दोष , चिंता से मुक्त हो जाएये शर्त बस वही है किसी का भी बुरा ना सोचे सिर्फ अच्छा ही अच्छा सोचे और करे आखिर में मै तो बस यही कहुगा -

                                          ध्यान ज़िन्दगी की ज़रूरत नही
                                         ज़िन्दगी ही ध्यान है |
                                 आपका शुभचिन्तक
                               अजय बनारसी .

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